यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 2025 निबंध प्रश्न पत्र

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यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 2025 निबंध प्रश्न पत्र

यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 2025 निबंध प्रश्न पत्र- संपूर्ण विश्लेषण और दृष्टिकोण

 

यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 2025 निबंध प्रश्न पत्र

यूपीएससी निबंध 2025

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (CSE) भारत की सबसे प्रतिष्ठित और चुनौतीपूर्ण परीक्षाओं में से एक है। आईएएस, आईपीएस, आईएफएस या आईआरएस अधिकारी बनने की यात्रा में तीन कठिन चरण पार करने होते हैं – प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और व्यक्तित्व परीक्षण (साक्षात्कार)। इनमें से, मुख्य परीक्षा सबसे निर्णायक चरण है, क्योंकि यह अभ्यर्थी के ज्ञान की गहराई, विश्लेषणात्मक कौशल, लेखन क्षमता और विचारों की परिपक्वता का मूल्यांकन करता है।

इस वर्ष मुख्य परीक्षा का प्रारंभ  22 अगस्त 2025 को निबंध प्रश्न पत्र के साथ हुआ, जिसने आने वाले दिनों की दिशा तय कर दी। निबंध प्रश्न पत्र को अक्सर कम करके आंका जाता है, लेकिन टॉपर्स लगातार इस बात पर ज़ोर देते हैं कि एक अच्छी तरह से लिखा गया निबंध रैंक बढ़ाने में मदद कर सकता है, जबकि निबंध में किया गया खराब प्रदर्शन सबसे बेहतर अभ्यर्थी को भी असफल करा सकता है।

यूपीएससी में निबंध प्रश्न-पत्र का महत्व

  • यह प्रश्न पत्र 250 अंकों का होता है (मुख्य परीक्षा में 1750 अंकों में से)।

  • अभ्यर्थियों को 1000-1200 शब्दों के दो निबंध लिखने होते हैं।

  • विषय आमतौर पर दार्शनिक, नैतिक या मूल्य-आधारित होते हैं, जिनमें मौलिक सोच और तार्किक संरचना की आवश्यकता होती है।

  • सामान्य अध्ययन के प्रश्न पत्रों के विपरीत, निबंध अभ्यर्थी के विचारों की स्पष्टता, अभिव्यक्ति, रचनात्मकता और व्यक्तित्व लक्षणों का परीक्षण करते हैं।

संक्षेप में, निबंध वह माध्यम है जहाँ अभ्यर्थी अपनी मानसिकता और विश्वदृष्टि प्रदर्शित करते हैं – ऐसे गुण जो एक भावी सिविल सेवक के लिए तथ्यों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होते हैं।

 प्रश्न पत्र के दिशा-निर्देश

  • प्रत्येक खंड (A और B) से एक चुनकर दो निबंध लिखें।
  • शब्द सीमा: प्रत्येक निबंध के लिए लगभग 1000-1200 शब्द
  • प्रत्येक निबंध 125 अंकों का है।

  • अभिव्यक्ति की स्पष्टता, संतुलित तर्क, मौलिकता और सुसंगति महत्वपूर्ण हैं।

खंड A – विषय और विश्लेषण

1. सत्य कोई रंग नहीं जानता है।

Truth knows no colour.

यह विषय सत्य की सार्वभौमिकता और निष्पक्षता को दर्शाता है। यह अभ्यर्थियों से जाति, पंथ, प्रजाति और विचारधारा के विभाजन से परे जाने का आग्रह करता है। दृष्टिकोण में शामिल हो सकते हैं:

  • दार्शनिक दृष्टिकोण: सत्य निरपेक्ष है, मानवीय पूर्वाग्रहों से परे। (वेदांत, बुद्ध, गांधी का “सत्याग्रह”)।

  • ऐतिहासिक उदाहरण: दासता उन्मूलन (मानव समानता का सत्य), भारतीय स्वतंत्रता संग्राम (सत्य बनाम औपनिवेशिक प्रचार)।

  • समकालीन प्रासंगिकता: मीडिया पूर्वाग्रह, फर्जी खबरें, न्याय प्रणाली, गलत सूचना के विरुद्ध वैज्ञानिक सत्य।

2. बिना लड़े ही दुश्मन को परास्त करना युद्ध की सर्वोच्च कला है।

The supreme art of war is to subdue the enemy without fighting.

सुन त्जु की युद्ध कला से प्रेरित, यह विषय कूटनीति, रणनीति और शांति-निर्माण से जुड़ा है। इसके आयाम हैं:

  • ऐतिहासिक: गांधी की अहिंसा, शीत युद्ध की कूटनीति, नेल्सन मंडेला का सुलह-समझौता।

  • सैन्य रणनीति: मनोवैज्ञानिक युद्ध, निवारण, साइबर और सूचना युद्ध।

  • समकालीन: भारत-चीन सीमा वार्ता, जलवायु कूटनीति, संघर्ष निवारण में कृत्रिम बुद्धिमत्ता।

  • नैतिक: अहिंसा शक्ति है, कमजोरी नहीं।

3. विचार एक दुनिया खोजता भी है और एक बनाता भी है।

Thought finds a world and creates one also.

यह एक दार्शनिक और व्यावहारिक विषय है, जो विचारों की शक्ति पर प्रकाश डालता है।

  • दार्शनिक दृष्टिकोण: मानव प्रगति कल्पना से शुरू होती है।

  • ऐतिहासिक: वैज्ञानिक क्रांतियाँ (आइंस्टीन, न्यूटन), राजनीतिक क्रांतियाँ (फ्रांसीसी, भारतीय स्वतंत्रता)।

  • सामाजिक आंदोलन: नारीवाद, मानवाधिकार, डिजिटल क्रांति।

  • व्यक्तिगत स्तर: व्यक्तिगत विकास, नवाचार, स्टार्टअप।
    इस निबंध में रचनात्मकता, दर्शन और व्यावहारिक उदाहरणों का मिश्रण आवश्यक था।

4. सबसे अच्छे सबक कड़वे अनुभवों से सीखे जाते हैं।

Best lessons are learnt through bitter experiences.

एक प्रासंगिक और मानव-केंद्रित विषय।

  • ऐतिहासिक: भारत का विभाजन, विश्व युद्धों के कारण संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ का उदय।

  • व्यक्तिगत विकास: परीक्षा में असफलता, उद्यमिता संघर्ष, नेतृत्व चुनौतियाँ।

  • सामाजिक: स्वास्थ्य सेवा में महामारी के सबक, जलवायु परिवर्तन आपदाएँ संधारणीयता सिखाती हैं।

  • नैतिक: पीड़ा सहानुभूति और लचीलेपन को आकार देती है।

खंड B – विषय और विश्लेषण

5. मैले पानी को अकेला छोड़ने से ही उसे सबसे अच्छा साफ किया जा सकता है।

Muddy water is best cleared by leaving it alone.

यह विषय धैर्य, समय और प्राकृतिक समाधान का प्रतीक है।

  • दर्शन: सभी समस्याओं के लिए तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती है।

  • शासन: अति-विधान बनाम न्यूनतम राज्य।

  • प्रकृति: अगर बिना किसी व्यवधान के छोड़ दिया जाए तो पारिस्थितिकी तंत्र स्वयं पुनर्निर्माण कर लेता है।

  • व्यक्तिगत: चिंतन, ध्यान और जाने देने का महत्व।

6. वर्ष बहुत कुछ सिखाते हैं, जो दिन कभी नहीं जानते।

The years teach much which the days never know.

यह समय और अनुभव के माध्यम से प्राप्त ज्ञान को उजागर करता है।

  • व्यक्तिगत स्तर: परिपक्वता, धैर्य, दूरदर्शिता का ज्ञान।

  • ऐतिहासिक: लंबे संघर्षों से सीखते राष्ट्र (भारत की लोकतांत्रिक यात्रा)।

  • सामाजिक: संस्कृति, प्रौद्योगिकी, लैंगिक समानता में पीढ़ीगत बदलाव।

  • नैतिक: समय विनम्रता का परम शिक्षक है।

7. जीवन को एक यात्रा के रूप में देखना सर्वोत्तम है, न कि एक गंतव्य के रूप में।

It is best to see life as a journey, not as a destination.

एक कालातीत दार्शनिक विषय।

  • धार्मिक एवं दार्शनिक: गीता (कर्म पर ध्यान केंद्रित करें, परिणाम पर नहीं), स्टोइकवाद, बौद्ध धर्म।

  • व्यक्तिगत: असफलताओं से सीखना और विकास, न कि केवल उपलब्धियों से।

  • सामाजिक: सतत विकास एक यात्रा के रूप में, न कि एक निश्चित लक्ष्य के रूप में।

  • समकालीन: कार्य-जीवन संतुलन, मानसिक स्वास्थ्य, प्रक्रिया का आनंद लेना।

8. संतोष स्वाभाविक संपत्ति है; विलासिता कृत्रिम निर्धनता है।

Contentment is natural wealth; luxury is artificial poverty.

अतिसूक्ष्मवाद, उपभोक्तावाद और खुशी पर एक गहन चिंतन।

  • दार्शनिक: स्टोइक, गांधी, बुद्ध – सच्चा धन आंतरिक शांति में निहित है।

  • सामाजिक: ग्रामीण सादगी बनाम शहरी उपभोक्तावाद के बीच अंतर।

  • आर्थिक: गैर-टिकाऊ उपभोग, पर्यावरणीय गिरावट।

  • समकालीन: सतत जीवन, प्रसन्नता सूचकांक, उत्तर-भौतिकवादी समाज।

यूपीएससी 2025 निबंध प्रश्न-पत्र के बारे में सामान्य अवलोकन

  1. दार्शनिक मूल: लगभग सभी विषयों का दार्शनिक आधार व्यावहारिक प्रासंगिकता वाला था।

  2. गहनता की आवश्यकता: निबंधों में परिपक्वता, बहु-दृष्टिकोण और वैश्विक तथा भारतीय उदाहरणों की आवश्यकता थी।

  3. नैतिकता के साथ एकीकरण: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-IV (नैतिकता, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि) के विषयों के साथ प्रबल समानता।

  4. रचनात्मकता के लिए स्थान: अभ्यर्थी कहानियों, उद्धरणों, उपाख्यानों और यहाँ तक कि साहित्यिक संदर्भों का भी उपयोग कर सकते हैं।

लेखन के लिए सुझाया गया दृष्टिकोण

  1. विषय को समझना: प्रमुख शब्दों को परिभाषित करें और उनकी व्यापक व्याख्या करें।

  2. विचार-मंथन के आयाम: ऐतिहासिक, दार्शनिक, सामाजिक, राजनीतिक, व्यक्तिगत, पर्यावरणीय।

  3. संरचना व्यवस्थित करें:

    • परिचय: किस्सा/उद्धरण/परिभाषा।

    • मुख्य भाग: उदाहरणों सहित 4-5 आयाम।

    • प्रतिवाद: अतिवादी विचारों में संतुलन बनाए रखें।

    • निष्कर्ष: आशावादी, दूरदर्शी, मूल्य-आधारित।

  4. भाषा एवं शैली: सरल, स्पष्ट, प्रेरक, शब्द जाल से बचें।

प्रारूप की रूपरेखा

उदाहरण: “संतुष्टि प्राकृतिक संपदा है; विलासिता कृत्रिम गरीबी है।”

  • प्रस्तावना: गांधीजी का उद्धरण (“दुनिया में सबकी जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त है, लेकिन सबके लालच के लिए नहीं”)।

  • दर्शन: सभ्यताओं में संतोष एक शाश्वत मूल्य है।

  • ऐतिहासिक उदाहरण: कलिंग के बाद अशोक, गांधी की सादगी।

  • समकालीन: उपभोक्तावाद से प्रेरित ऋण संस्कृति, जलवायु संकट।

  • प्रतिवाद: स्वस्थ आकांक्षा बनाम अंधी विलासिता।

  • निष्कर्ष: सच्चा धन मन की शांति और टिकाऊ जीवन है।

उदाहरण: “विचार एक दुनिया खोजता है और बनाता भी है।”

  • प्रस्तावना: इतिहास को आकार देने में विचारों की शक्ति।

  • ऐतिहासिक: औद्योगिक क्रांति, भारतीय स्वतंत्रता, डिजिटल क्रांति।

  • सामाजिक: सुधार आंदोलन, लैंगिक समानता, जलवायु सक्रियता।

  • वैज्ञानिक: सापेक्षता के सिद्धांत से लेकर आज के कृत्रिम बुद्धि तक।

  • निष्कर्ष: विचार कल की दुनिया के बीज हैं; अच्छे विचारों का पोषण मानवता के भाग्य को आकार देता है।

भावी अभ्यर्थियों के लिए सलाह

  1. विस्तृत अध्ययन करें: दर्शन, इतिहास, साहित्य और आत्मकथाएँ।

  2. उद्धरण और उपाख्यान एकत्रित करें: गांधी, अम्बेडकर, विवेकानंद, मंडेला, टैगोर आदि से।

  3. निबंधों का साप्ताहिक अभ्यास करें: सहकर्मी समीक्षा या मार्गदर्शकों के साथ।

  4. संरचना पर काम करें: सजावटी भाषा से ज्यादा विचारों का प्रवाह मायने रखता है।

  5. आदर्शवाद और व्यावहारिकता में संतुलन: यूपीएससी तर्कसंगत लेकिन आशावादी उत्तरों की अपेक्षा करता है।

अंतिम शब्द

यूपीएससी मुख्य परीक्षा निबंध प्रश्न-पत्र 2025 इस बात की पुष्टि करता है कि आयोग भावी प्रशासकों में दार्शनिक परिपक्वता, नैतिक स्पष्टता और चिंतनशील सोच को महत्व देता है। ये निबंध तथ्यों को रटने के बारे में नहीं थे, बल्कि विश्वदृष्टि, सहानुभूति और ज्ञान के बारे में थे।

अभ्यर्थियों के लिए, यह एक सबक है: केवल ज्ञान ही यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं होता बल्कि यह बुद्धि और संतुलन से भी होता है।


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The Source’s Authority and Ownership of the Article is Claimed By THE STUDY IAS BY MANIKANT SINGH

 

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